अब के सावन तो सजन घर आजाअब के सावन तो सजन घर आजाअम्भुवा के डारियों पे जुलना जुला जाअब के सावन तो सजन घर आजाबिछड गया हो जिसका साथीबिछड गया हो जिसका साथीबिछड गया हो जिसका साथीवो बिछड गया हो जिसका साथीवो एक दिपक है बिन बातीगम का अन्धेरा मेरे मन से मिठा जाअब के सावन तो सजन घर आजा
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