रजनाया
रजनाया
सईयद है अली
सईयद है अली
सईयद दारे निजली है
और वालेत यस्नेन शरीफे नियलिये
वाद मुस्तफा
खर्साय माशर की कसम जनप की तनेटी तत्यर में नियलिये
घर
घर
घर
उससेदा मकाम होन्दा जित्थे कुल पैदा होन्दा
काबा
अली दे जमन तो तैलेक बुद्धखाना
लोडा चर्गे
मन्ता है घर रुसू का
होता जहां कोई पर
पैदा मुल्ला ये तेरे फत्वे तुझको न देगे फैदा
ताबा तु घर यली का अल्ला तो लामका है
दिवार जो फटी थी अब तक वोही निशाओं है
तैलेक बुद्धखाना
लोडा चर्गे
मन्ता है घर रुसू का
होता जहां कोई पर लामका है
दिवार जो फटी थी अब तक वोही निशाओं है
यन्नत वहली के सजदा की वाफर है जकात
यन्नत वहली के सजदा की वाफर है जकात
दो झखतो फटमा ही किरंज अश्का नाम जायो
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न पूछ कैसे के कोई शाय मश्रेते न बना
खुदा का हुस्न नबुवत का नूरे न बना
अवीत का खून शीर मस्कूल वा बेरसूल
मिले है ये अनासर तो फिर हुसैन बना
मैं यूँ मस्तूर दी खादमया
जेड़ी है सरदार निशादी ततहीर तवाप करेंदिये
तड़िगायत इन्नामादी रहमान तुपच्छ कुरिगान तुपच्छ तौकीर सुनेन दिमादी
महराज तुभंड नई भई कंबर मेरी नित ज्यारत जहरादी
हर नगर्न हर शहर नः बछर के घर उम्मिणा है दर है दर
तुख्मे जो गलालि दाओं से रखना है ली है ली है ली हर नगर्न हर शहर
हर नगर नहर शहर नहर बशर दे घर पौमना हदर हदर
सुख में जो खलाल जाओ से हेदा पिना जाओ सर्मि भैलिये
हर नगर नहर शहर नहर बशर दे घर
सुख में जो खलाल जाओ से हेदा पिना जाओ सर्मि भैलिये
मदीने छोडली नु जग में अर्ष्टें पहुँचिदम उत्ते बनिते होचिदम
हिजाब दर्यंदल बसे नादिन जिरिया हैली हैली हैली
हर नगर नहर शहर दे घर बशर दे घर
ग्राहत ज्यादा!
ग्राहत यूपा लंा दे ग्राहत ज्यादा!
नदी तो वो है जो खुदाई का इंतिजाम करे
गादा तो वो है
गादा तो वो है
गादा तो वो है
जिसे सुद्धा खास आम करे अनीम वो है जिसे काबा भी सलाम करे
हर नगर में हर शहर हर बशर दे घर तो मिना हजर हजर
तुख में जो घलालिदा उसे हेदा खिना
पहाणी कर्या दर्मवंचे रोख्या
सर्याली शानित्या जिद्या
सर्याली शानित्या जिद्या