चलते फिरते मुझे
दूर से दिखा एक समा
हसीन सा
उसमें एक तुम
और तुम्हार छहरा
मैं तो किर गया
आँक खुलते ही
बोला मैं वो जो उसलना
चाहती थी
अफसोस है ये
वो वैसी ना निकली
जस सोचता फिर बोलो
ऐसे कैसे चलेगा
फिर बोलो
ऐसे कैसे लेगा
कैसे चलेगा
शोड़ गई वो मुझे
ऐसा ना उरा था मेरे साथ
लेकिन हो गया
वो बोलती रही उसकी बातों में मैं रहक गया
ये क्या हो गया
फिर बोलो
ऐसे कैसे चलेगा फिर बोलो ऐसे कैसे लेगा
कैसे चलेगा
मैंने सोचा था
हाल हो जाएगा ये महसला
उतना हुआ डरके
बेटटा था
दूच जाएगा ये
रिष्टा
वो तो तूख जाया
फिर बोलो ऐसे कैसे चलेगा
फिर बोलो ऐसे कैसे रहेगा
फिर बोलो ऐसे कैसे चलेगा
फिर बोलो ऐसे कैसे रहेगा