मीथी मीथी बतियों से मन भरमायाप्रित का बेरी काहे रोग लगाया लगायाइही तो गजब हुई गवा रामाइही तो गजब हुई गवाबारी उमरिया मुरी शल नहीं जानू रेराम जाने होगा अब क्या कल नहीं जानू रेबोठों पे पीत का नगमा जो आयाजाने अनजाने सारे जग को सुनाया सुनायाइही तो गजब हुई गवाप्यार का दुश्वन जनो सारा ही समाना रेकरूतों से बिंती सया भूल नहीं जाना रेमनमंदर में तुमको बतायाब्यार में तेरे सारे जग को भूलाया भूलायाइही तो गजब हुई गवा रामा