हे...
हया...
पियवा गईले कल कारटवाई साज़णी
गोडवा में जूता नहीं कहसी रवापे छाथवाई साज़णी
कैसे छॉली हे रहा तवाई साज़णी
मुझको भी हां तिर यादें आए
पर्देस में हमको नानीद आए
बातें तेरी लागे जग से भी प्यारी तू ही तो है
हां साज़णी हमारी अब कैसे मैं अपना हाल सुनाओं
आए साज़णी हम तो आ गए पर्देस हाँ आए साज़णी
हम तो आ गए पर्देस हाँ आए साज़णी ये साज़णी रे
साज़णी आए साज़णी पियावा गयले कलकातवाई
साज़णी गयले
पर्देस हाँ गयले पर्देस
सुचते सुचत बितत बाते दिन रातवाई साज़णी
सुचते सुचत बितत बाते दिन रातवाई साज़णी
पतहु लागत नहीं के पतवाई साज़णी
पियावा गयले कलकातवाई साज़णी
सैन्याजी की यादों में हाँ फिर से आज रोई वो
सैन्याजी की यादों में थी रातो को न सोई वो
सैन्याजी भी घर से हाँ निकले नहीं हता
भागलपूर की गारी से वो पौचे कलकता
परदेस जाके हाँ बढ़ जाती दूरियां
सैन्याजी भी क्या करें है कुछ तो मजबूरियां
शौक से न जाते वो हाँ घर बार छोड़कर
आँके होती न बीचे देखे जब वो मुड़कर
हमरे अंग्ना में खुसीया नहीं के ना ही बाते चैना एइ पियाजी
जग
की सारी खुशीया में देदू हाँ इसलिए हाँ
इसलिए हम तो आ गए परदेस हाँ ए सजनी पियाजी
पियाजी
पियाजी
पियाजी