एक जणी के जीजा के भाई जब उनका गाँए आयेला हैं
तो बड़ा मजाकिया बढ़ें और मजाक कर रहें बढ़ें
तो कैसे भली हैं
कि अइनी ससुरारी तो
होता खातिदारी हो
अइनी ससुरारी तो
होता
खातिदारी जे
कि अब जदा मन ना बढ़ाई एजीजा के भाई
अब जदा मन ना बढ़ाई
एजीजा के भाई
अइनी ससुरारी तो होता
खातिदारी दी
अइनी ससुरारी तो होता खातिदारी दी
पुलत नईखे हम तन करी मन मानी
राखी कंटरोल में हया पन जवानी
करी हे हर पन उल्टा जाई बोलाई जी
ना हे हर पन उल्टा जाई बोलाई जी अब जदा मन ना बढ़ाई एजीजा के भाई नाई
कहता नी दूरे होटी ओ पी बिहारी
ना ही तो देई दे हब बहीनी के गारी
देहियासे हाथ रवा जलोदी हाटाई जी
देहियासे हाथ रवा जलोदी हाटाई जी
भाई एके कोराना दाप आई एजीजा के भाई
भाई एके कोराना दाप आई एजीजा के भाई
अईनी ससुरारी तो होता खाती दारी जी