लाख शुपकारे!
लाख शुपकारे नविनां लगद यां बेट,
वाई तुसी शाद अबाद ओ गयो
तुसी शाद बिम्दा दो गयो
आयो साडी घुर्बत दी धोले लाद कर छोड़ी
निका होंदी या तु साडी या सफा वे ए देरो ले क्यों पोंदे
पर परवाद देन पर ज़िनदगी दा पका रिष्टा जोड़ना सगेओ
सब कलतीया चनान तु साडीया गला थून दे शरीक न असाडिया
सहब वफा वे ए देरो ले क्यों पोंदे
यही रभती सहात गवाव ए देरो ले क्यों पोंदे
सजनती जात वधावन लेई सारी उबर गरीब सादालो
इन
जिसी जिनदगी दे एक मौड ते आके ज़िनदा लगते आनु अज मालो
सारे भीड दे बेले कंड कर गए जेड़े सजन हयात बना
पद पोंदे ना लमीया उड़ी कंदे
मेरे सुन जेना कतीया सुन कंदे
जे नितीया ता करवा हाजा
वह ए देरो ले क्यों पोंदे
निता होनदी या तू साड़ीया सफाव
वह ए देरो ले क्यों पोंदे
जब ती रात गवाव ए देरो ले क्यों पोंदे
जड़ा क्यों ले दाई केड़ी वकात गडी बावी
तो तरा निच न चर चे जहान ते कोई फरक न आई पुछि शान ते
कोई फरक न आई पुछि शान ते
बठे देन ले नो कर दुवाँ
पड़ी
न
साल पड़ाई वतने मिन यार लवा के कसा
तेरे सट न कोई न मर न सीर हुआ चाकलाए न वे संग दिया चसा
साबी सार माया
साल साज़ किसे ते किले नहीं लुप माने ज़दा जिंदगी दे मिलेने
नीता हुदी यह तू साड़ी यह सफा
वै येदेरोले क्यों पंदे
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