तुम्हें कैसे बताए
हम तुम्हारे बिन अधूरे हैं
हुआ है हाल
कुछ ऐसा के अब आदे ना पूरे हैं
तुम्हें कैसे बताए हैं
मेरी सोचो ख़यालों पे
तेरा छहरा ही काबिज हैं
तेरी
कुर्बत
के बिन जैसे
मेरी हर सास आजज है
किसे जाके
सुनाए इशक के
इससे अधूरे हैं किसे जाके सुनाए
इशक के
इससे
अधूरे हैं तुम्हें कैसे बताए हैं
जो पल भर के लम्हों से
गुजर जाए
ये चाहत के फरीजे हैं जियें संग साथ मर जाए
हमारी आरजों के कई
हिस्से
अधूरे हैं
हमारी आरजों के कई
हिस्से अधूरे हैं
तुम्हें
कैसे बताए हम तुम्हारे बिन
अधूरे हैं
हुआ है हाल कुछ ऐसा के अब
आदे ना पूरे हैं
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