अच्छुतम्केश्वं विष्मदामोधरं रामनारायणं जानकीवलभं
रामनारायणं जानकीवलभं
रामनारायणं जानकीवलभं
कौन कहते है बगवान आते नहीं
कौन कहते है बगवान आते नहीं
गुल्वीरा के पैसे बुलाते नहीं
अच्छम्केश्वं पिष्टावो रम्प याम नारायरं
चानकी वल्लहं रम्प नारायरं
चानकी वल्लहं
कौन केहते है बगवान आते नहीं
कौन कहते है बगवान आते नहीं
वेर शब्री के जैसे किलाते नई।
अच्छतं केशबं कृष्टामो धरं। राम नालाय रम् धारती बल्रभं।
अच्छतं के जैसे किलाते नई।
अच्छतं केशबं कृष्टामो धरं। राम नालाय रम् धारती बल्रभं।
अच्छतं के जैसे किलाते नई। राम नालाय रम् धारती बल्रभं।
अच्छतं के जैसे किलाते नई।