छुरी जुघन की आथों में
याद फिया की आणे लगी
हर भीगी- भीगी रातों में
यानत फिया की ाने लगी
हर भीगी- भीगी रातों में
छुरी जुघन की आथों में
अब की बरसे है ये सावन जान न मेरी ले जाए
ढकडक मूरा जिया तर ये तन से चोडर जो उड़ जाए
बोले जुघ कुयल बागों में
बोले जुघ कुयल बागों में
याद फिया की आणे लगे
हर भीगी- भीगी रातों में
याद फिया की आणे लगे
हर भीगी- भीगी रातों में
छोड़ जुखन की हाथों में
याद फिया की आणे लगे
हर भीगी
छोड़ जुखन की हाथों में
याद फिया की आणे लगे
हर भीगी- भीगी रातों में
याद फिया की आणे लगे
हर भीगी- भीगी रातों में
छोड़ जुखन की हाथों में
हाथों में
अब की बरसे है ये सावन
जान नमीरे ले जाए
धक धक मुरा जिया तरे
तन से चुदर जो बुण छाए
बोले जो कोयल बागों में
बोले जो कुयल बागों में
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04:17