मेरा नाम आक्रिती लाल, उमर 25, दिल्ली शहर से
मेरा फ्लो जैर है क्योंकि यहां तक आई हूँ उसी में तैर के
सब कहते लड़की कलाकार होने के कितने फायदे पर ज़रा ठेरी
तुम क्या जान उस कलाकार को नोचने बैठे हैं कितने भेड़ी हैं
जो रूँ को हिला दे करके जिसुं की बात, आंसुओं में भीके सोरे सोचे होगी किस किसं की रात
फिर नई सुभाव नया काम ढूना एक नई मिशन पे आज, मीटिंग के लिए पूछा एन आर से तो उसने घुमा दी टिनर पर बाद
और टेबल पे वही बात क्या है साइज, क्या है वेट, क्या है बॉरी टाइप, तब भी जिनर दे की सोचा है बाहर से कमा के घर पे रोटी गॉन लाए
उसकी शराब में मिलके बाते और भी ज्यादा कड़वी होती जाए, वो तो स्ट्रॉंग है पर आकृति अंदर से मायूस होती जाए
मुंबई में छट नहीं थी, गुजारे छोटे स्टूडियो में हफ्ते मैंने, सच कहते है सड़कों पे लड़कियां सेफ नहीं बदले नहीं रस्ते मैंने, आज नाश्टर टेलिविजियों पे क्योंकि स्टेज पे करे हैं सच दिल मैंने, और जो नहीं लगता है मेरे लि�
पर कमजोर दिल मैं क्या करूँ, एक ख्वाईश की खुद को थामलू, एक ख्वाईश की तिरी जामलू
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हाइ खेला मैंने, खेल कहीं जो बताओ पाऊँगी छेल नहीं
हाइ मुझ पे नजर एक गड़ी
जो भी किया दुल से किया for the Fine नहीं
हाइ खेला मैंने, खेल कहीं जो बताओ पाऊँगी छेल नहीं
हाइ मुझ पे नजर एक गड़ी
जो भी किया दिल से किया for the fame नहीं
टेबल पे मेरे साथ बेठा करना केवल काम की बात
गानों में फ्लेवर भर तू दौलत पसंग जूता मत चाट
बनना नहीं feminine queen मैं तेरे बाब समान
तबी तू दारू पीके कर रहा मुझे बार ख़वट पा
पहाडी खुन गुसे में हमेशा है चोटी पे
तू बरकर छापचपन से गी चुपड़ा है मेरी रोटी पे
एक साल का वक्त देगा तू है कौन
ना करूँ आईजी टैग मैं करतू लाइफी ब्लैक
ना खेलू आईस पाइस नाइफ स्वाइप राइट तू डेथ
and now your life's in threat and now your life's in Threat
Sorry मैट त्रिफ
अगेले मैंने खेल गई वबतां पाऊँगाई जेल नही
मुश्प णज़र एक गड़ी
जो भी किया, दिर से किया वो दाव फेन नही
अगेले मैंने खेल गई वबतां पाऊँगाई जेल नही
मुश्प नज़र एक गड़ी
मुझे मैं नज़ रहकर ही
जो भी किया तो से किया वो दफेम दर ही