आरति की जेहनु माने लला की
आरति की जेहनु माने लला की
आरति की जेहनु माने लला की आरति की जेहनु माने लला की
दृष्ठकिता दन्मान, स्वग्षान है !
आर्दि की जेहन्मानिललाकी
सेगिर्वर कापे रोगदोश जाके निकटन जाके
अन्जनी पूत्र महाबलदाई संतन के प्रभू सदा सहाई
लंका सौ कोटि समुद्र सिखाई जात पवन सुत बार नलाई
लंका जारी असुर सहारे
सियाराम जी के खाज सवारे
लक्षमन मुल्छित पडे सकारे
आनिसन जीवन प्रान उबारे
पैठी पाताल
तोरी जमकारे अही रावन की
भुजा उखारे
बाई भुजा असुर दल मारे ताई भुजा संतन जनतारे
आरति की जेहन मारे नलाखी
मुनी जन आरति उतारे जै जै जै हनुमान उचारे
कंचन थार कपुरे लोच्छाई
आरति करत अन्जना माई
आरति की जेहन मारे नलाखी
तो
हनुमान जी की
आरति गावे
वसी बैकुंथ परम बदपावे
लंका बीद वनस की रखुराई
फुलसितास प्रभू की रति गाई