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आरती कुण्ज बिहारी की शिगिरी धर कृष्ण मुरारी कीआरती कुण्ज बिहारी की शिगिरी धर कृष्ण मुरारी कीआरती कुण्ज बिहारी की शिगिरी धर कृष्ण मुरारी कीगल में भैजन की माला भजावे मुरली मदुर वालासबन में खुण्डल जल खाला नद के आनद नद लालागगन सम अंद काति काली राधि का चमग रही आलीरतन में ठाले वन मालीध्यमर्शी अलक कसूरी जिलकचंद्रिसी जलक ललिति जबिशावा प्यारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीआरिती कुछ जिविहारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीअटक मैं मोर मुकुट बिलसेदेवना गर्शन को तरसेगगन सो सुमन राजी वरसेबजी मुर चंग अधुर मिर जंगवालिनी संग अथल रंदी गोप कुमारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीआरिती कुछ जिविहारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीआरिती कुछ जिविहारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीतहां ते तिर्कट भई रंगासकल मल हारे नेमिशीवंपा जान से होत मौखवंपामशीशिवशी लड़ा के भीहरेध की उपर चभिशी भटमारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीआरिती कुछ जिविहारी कीशिगिरदर कृष्ण मुलारी कीआरिती कुछ जिविहारी कीदिगिने दर खिर्ष्य प्रारीदीचमकती उजगल कट रेलो बजली है तावन वेलो चहो दिश जोति गौल वेलोहसत मदमंद चांदनी चंद बटक ववपंद तेरे सुनो दीन दुबारी की शिगिर धर खिर्ष्य मुरारी कीभारती गुंज विहारी की शिगिर धर खिर्ष्य मुरारीभारती गुंज विहारी की शिगिर धर खिर्ष्य मुरारी कीभारती गुंज विहारी की शिगिर धर खिर्ष्य मुरारी कीशिगिर धर खिर्ष्य मुरारी कीशिगिर धर खिर्ष्य मुरारीशिगिर धर खिर्ष्य मुरारीजोन कहते हैंजोन कहते हैंबिल्डावन विहारे लावने कीज़े बल्डाव सरकारे कीज़े