आरती कीजे श्री विधन हरनकी
गर्पति शिव गोरी नंगनकी
माधोरी की आख्ण के तारे शिनशंकरते राज दुलारे
आरती के यके भ्राता प्यारे सब देवों में
सबसे न्यारे आरती कीजे श्री विधन हरनकी
वित्यसेत्रिके शाश्वत स्वामी सभ्रगटवासी अंतरयामी
ब्रजमुख शुख और लाभ के रायत विधन विनाशत
वर्द विनायत आरती कीजे श्री विधन हरनकी
एक दंद गजवधन विनायत लंबो दरगण धरगण नायत
बोरत
लडूके
आभारी माल चंड्र प्रभु मूशत चारी आरती कीजे श्री विधन हरनकी
सुख करता दुख हरता भगवन
सब शुभ मंगल करता भगवन
यश्यवरे भव सुख्ष संपत्ति दार्ता भूग मूख्ष एश्परियप्न दार्ता
आरती कीजे श्री विधन हरनकी दरपति शिवगावी
नंधनकी आरती कीजे श्री विधन हरनकी