ये ना कोई काम बिगड़ने नहीं देता
बिगड़ें भी बना देता है सब नाम मुहम्मद
आकाखा बोल आकाखा मदनी आकाखा मक्की आकाखा सोहने आकाखा
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
जिकरे नभी तू करता जा
ये जिकर बड़ा अनमोल
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
ऐसा दिन भी आजाएं सरकार के दर पे बैठे हो
लब खामोश जबा बन जाएं आसु अरजा करते हो
इनके दर पे रोने वाले दिल से कुछ तो बोल
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
सरकार दू आलम प्यारे आकाँ जिधर से गुजरा करते थे
शजर गवाही देता था और पत्थर कलमा पढ़ते थे
नूर ख़ुदा के मुनकर अब तो अब तो अपनी आके खोओ
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
आओ चलो दीवानों सारे शहर मदीना चलते हैं
मेरी क्या उकात है सब ही उनके दरसे पलते हैं
गएरों को भी देते हैं बिनमागे बिनमोल
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
जब से होश संभाला है मैं उनकी नाते पढ़ता हूँ
गुस्ताखी ना हो जाए मैं संभल संभल के चलता हूँ
मां की दुआओं का सदका है नात का ये मां हो
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
राशिद नाते लिखना पढ़ना ये है बड़ा ऐजाद
उनके करम के सदपे ही से ऊची है परवाद
नाते नभी तू सुनाए जा कानों में रस गोल
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
जिकरे नभी तू करता जा ये जिकर बड़ा अनमोर
आकाखा बोल बन्दे आकाखा बोल
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