नाशब्री सी मेरी भाती फिर भी आस लगाई
नाशब्री सी मेरी भाती फिर भी आस लगाई
अर्णे नैनों की तुष्णा आओ एक दिन रखुराई
शरण धूली से मेरा आंगल चारो धाम बन जाए
जनमों से सोए थे जो भाग्य मेरे जग जाए
ना जाने उंगली पे गिंगियों कितनी रहन बिताए
अर्णे नैनों की तुष्णा आओ एक दिन रखुराई
अर्णे नैनों की तुष्णा आओ अभी जाओ रखुराई
देन दैऋल विर्थम सम्बारी हर हूँ आत्मम सम्कत भारी
अधिरय से हिएहियातारी भं से के वतना दूतारी
सवरी हो गई धन्यति हारी पाकी दरृशन वदakterी
देन दैोल व्र्थम संबारी हर हुँ आत्मम संकत भारी
मेरी बगिया की फुल कलिया प्रभु की बाद निहार रही
नैनों की ये असून धारा रामा राम पुकार रही
राहों में ये पूछक बिछेंगे जब राखव आगमन करेंगे
असुवन गंगा निर बनेंगे जब पावन चरनों पे गिरेंगे
मेरी कुटिया होगी रोशन पाके प्रभु आपके दरृशन
होगता तुम्हेरा ये जीवन मान पधारो दशरतन
राह तुम्हारे ए रखवर में बैठी पलती बिछाई
अरणी नैनों की तुष्णा आओ एक दिन रखुराई
करुणा कर दो करुणा सागर तुम बिन कौन हमारा जी
मैं दीन तुम दीन दया लो देदो अपना सहारा जी
कौशल याद शिरत के नंदं तुलसी दास की तुरामायन
मुझे बिठालो अपने चरण बिलती सुनलो मेरी भगवन
भक्तों के सदत उम हितकारी मैं हूं रागव दास तिहारी
दीन दयाल विर्द संभारी हर हुनातमं संकट भारी
हत गए अखियां अब ये मेरी किरपा कर दो गो साई
हरने नैनों की त्रिशना आओ एक दिन रखो राई
शीरंजेरं जेजेरं
उम राम रमाईना जूयं राम रमाईना
उम राम रमाईना जूयं राम रमाईना
उम राम रमाईना