ज़्याई हो, ज़्याई हो
अई अई आई आई
किया चल भेग गईल बाद
नाईनावा के नेर से
ना जाने कौना पिर सेना
किया चल भेग गईल बाद नाईनावा के नेर से
ना जाने कौना पिर सेना
किया चल भेग गईल बाद नाईनावा के नेर से
ना जाने कौना पीर से ना
आचल भीड गयी बाँ नैनवा के नीर से
ना जाने कौना पीर से ना
जी आचल भीड गयी बाँ नैनवा के नीर से
ना जाने कौना पीर से ना
क्या बाद happy to have such crops
भीज गयी बान नैनावा के दीर से न जावे
की हमरो
फाटो तावे सीना हाथ में अग ठीके न गीना हमरो
हमरो फाटो तावे सीना हाथ में अग ठीके न गीना
बह।
क्या बात है?
कि कविता
लिखोले हनुमान रे जिन कर कौन हो मकान रे कविता
कि कविता लिखोले हनुमान रे जिन कर कौन हो मकान रे कविता
खी प्रेम में पागल बाडी मुरली धर अहीर के न जाने कौन पेर सेना
पेर पागल बाडी मुरली धर अहीर
के प्रजामे कौना
साँचल भीग गयील बाद नायन बाग नीर से न जाने कौन पेर सेना
या चल भीग गयील बाद नायन बाग नीर से न जाने कौन पेर सेना
Đang Cập Nhật
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