Nhạc sĩ: Vikash Singh
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हे बजरंदी मारुति नंदन चरण तुम्होर शिस नवाई
पवन पुत्र हनुमान की गाता
आप तभी को रहे सुनाई बल और बुधी के गाता
पवन पुत्र हनुमान कहाई वानर राज केशरी के प्रभु
पुत्र रूप में जनमे आई माते अजना के प्यारे हैं
राम के प्रियभक्त कहाई साथ मनशियों में बजरंगो
अमरतत्तो है प्राप्त बगाई कभूराम की सहायता को
बजरंग अवतार ल gang लताई बल बुधी और प्राकरम की
दुनिया कात हा रही हा दाई बल बुधी और प्राकरम की
बल बुद्धी और पराकरम की
चलवार दिवस कहला हनूमान के जनम की कता
आप सभी को रहे बताई एक बार भगवान इंद्र ने
लईः स्वर्ग में सभा बुला यिस दुर्वास वहाँ पर पहुके
भाग सभा में लेते जाए गड़े गहन चिंतन में वहाँ पर
देते सब हाल पुनाए पुझी अस्थली नाम की अफसरा
तभी वहाँ पर पहुकी जाए अन्जाने में भरी सभा में
रिस दुर्वास औँगे जब देखा उसको अपने पास बुला फिर समझवा कर वापस भेजा
आगे गलती हो ना पाए लेकिन रिसी की बातों का भी
कोई परभाव हुआ है ना पार पार पुझी के अस्थली ने
करा जो कहला रिसी की बात नहीं मानी तब रिसी
कुरक्त होके बतला इस्ताप दिये हैं रिस दुर्वासा
अफल से कहतے जाये बार बार समझाने पर भी बात
कुमँ वारी समझ गया इपबंदर की तर किया याच्छर
मारी मानी ना उसी परकार तुम पनो बंदरिया
देखो मन ही मन घबराई रिशी दुरवासा से फिर बोली
तरा वचन सुना बहुत तेर के बाद रिशी तब
बोले है मन में हरसा अगले चनम विवाह तुम्हारा
पुछ पर प्रशाँत पर प्रशाँत पर प्रशाँत
प्रशाँत पर प्रशाँत
प्रशाँत
पर प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत
प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत
प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत प्रशाँत
प्रशाँत प्रशा�
जहां तपस्यों में माता यानजना नीन रही है हाल बताए
गरुन वहाँ पर पहुच गया जब
माता ने लिया अंस उठाए
लक्जन मायाई पंगलवार दिवसवः पावन
बजरंगी अवतार लगाए प्रभुकी लीला प्रभु ही जाने
और कोई तो समझ लगाए प्राकर्मी ओधा बलशाली
ऐसा कोई नहीं दिखाए कंधे मुद जने उसादे
लिया है इक पल में ही खाए चीनों लोकों में अंधियाराः
देवों पर भी संकत चाए करते वोने करी वन्दना
सूर्य देव को छोड़े याए राम भक पाणों से प्यारे जुद
राम के भिगडे काम बनाए वानर राज सुपरीवस देखो
मित्रतराम की दिये कराए जाममंत जीया पतिसकी
दिये आपको याद दिलाए भारी सागर कार कर गए
मासीता की खबर लेआए अक्छे कुमार को संहारे
अक्छे कुमार को संहारे दिये राच समार गिराए
अशोक वाटका को भी उजाला
पल में लंका दाई जलाए चहाँ रही सोने की लंका
दिया राख का धेर बनाए रामण की सारी सेनातो
आपको देख देख घबराए तीनो लोक में आपके जैसा
महापनी कोई भी रहनाए शक्ति लगी जब
लच्छिमन जी को
मूलसन जीवनी लेकर आए हरसा उठे लखन भईया जब
राम याप को हिते लगाए चैसे भरत राम को प्यारे
वैसे ही हनुमान कहाए राम नाम लेकर बजरंगने
बड़े बड़े गाउने की ए बतलाए नल और मिल के संग में सेतू
जब गुनिया में आए राम नाम के पतवा लेने
दिया खसीना चीर दिखाए राम लखन संग मासी ताटा
दर्शन सबको दिया करा प्रति वर्ष हनुमान
जनमोचो प्रकाट योचो भत्यमना सबकी करे कामना फूरी
बिगडे काम बनाए बजरंगी की महिमान्यारी