Nhạc sĩ: Vikas Singh
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जैजे हो भोले भंडारी दुनिया में चलकी सरकार
सभी देवतां वन्नन करते
विशी, मुनी सब कर जैकार
तीन लोक जिनका यश गाते
पूज रहा जिनको संसाल
जैजे हो बाबा वरफानी तुम्हेरी लीला अफराम पार जो भी आता दौरे तुम्हरे
बिन्ती आप करें सिविकार कृपा आपकी जिस पर होती
हर सपना होता साथार शिवशंकर की कृपा से कैसे
एक हुआ परिवार बताएं कलम विकास चलाते प्रभुजी
बैठ कलम पर करो सहाईं कलम विकास चलाते प्रभुजी
कलम विकास चलाते प्रभुजी कलम बैठ करो सहाईं किसी जगा पर परिवार थाँ
सुन्दर चोटा सा बतलाएं पति पत्मी का रिष्टा था ये
बड़े प्रेम से चलता जाएं पति पत्मी आपस में मिलकर
सुन्दर जीवन रहे बिताएं लेकिन कोई संतान नहीं थी
जीवन में यही कमी कहाईं दरदर भटके आरजी लेकर
कहीं सुनवाई हो नहीं पाएं बहुत समय बीटा हैं देखो शूनी गोद भड़ी है नाय
जगा जगा पर दान किया हैं भूके को भोजन करवाईं आफिर हार के मन में बैठें
कुछ भी हासिल होने नपाएं आफिर हार के मन में बैठें
आखर हार के मन में बेठे कुछ भी हासिल
होए न पाए एक दिन पती और पत्णी में जीद
आपस में लिया मनें बनाएं लेंगे गोध किसी के बच्चें
नहीं व्यर्त है समय गवाएं दोनो अनाथ आश्रम पहुँचें
एक बच्चे को गोध ले आएं दोनो के जीवन को मानो
कोई कमी न अब रह जाएं खुशियों से जोली है भर गई
दोनो पूले नहीं समाएं बज़े मिली थी अब जीने की
पति पत्णी को यह बतलाएं अब नहीं रही कोई भी चिंता
जीवन आगे बढ़ता जाएं बढ़े जतन से अब बेटे को
पालन पोशन हुआ बताएं बढ़े जतन से अब बेटे का
बालन पोशन हुआ बताएं बेटे के जीवन में उनने
कोई कमीन रखी है नाई पढ़्लिक करके बेटे
को जी
एक काबिली इनसान बनाएं बच्चपन से ही बढ़ा नेक था माता पिता को
प्रिय कहलाएं पंख लगाकर समय उड़ गया अब आगे की बात सुनाएं बेटा बढ़ा
हुआ जब देखो घर के काम में हाथ बताएं अपने पिता के कारवार में
जिम्मेदारी रहा उठाएं अपनी मेहनत और लगन से कारवार को रहा बढ़ाएं यह सब
देखा माता पिता ने मन में बहुत है खुशी हो जायें यह सब देखा माता पिता ने
मन में बहुत हुआ कुछी हो जायं यहां की बात यहीं पर थोड़ो
बेटे की ये बात सुनाए अफिस में एक लड़की देखो
बेटे को वह पसंद है आये बीटा समय तो फिर दोनोंने
पोट में लिया विवाह है रखाये मात बिता को मालुम ना था
बात से थे ये तो अनजाल मात बिता ने सब कुछ अपना
लड़की देख के दे विवाह रखाइ चर्चा चली तभी लड़की
लड़का अपने घर ले आए
चर्चा चली तभी लड़की को
चर्चा चली तभी लड़की को
प्रशाई सामने आए चे महिने बीटे हुए सादी
बहुरही अपने रंग दिखाए घर के काम करने वालों को
देखो उसने दिया भगाए ससुर से लगवाती ती पौंचा
सास से सारा काम कराए डूबी रहे दिन रात नसे में
खे के संग हाल सुनाए अपने पती से एक दिन बोली मात पिता को देओ भगाए ब्रध
आश्रम छोड़ के आओ
अब क्यों राखी देरे लड़ाए पती बोला अपनी पत्नी से
बिलकुल चिंता करना नाए पती बोला अपनी पत्नी से
बिलकुल चिंता करना नाए आज रात कट जाने पर ही
जैसे ही कल चुबा हो जाए मात पिता को ब्रध
आश्रम देंगे हम घर से पोहताए गर्बाजे के पास
खड़ी मा बात ध्यान से सुनी है जाए
जाकर फिर लड़के के पिता हसे
सारी बात दयी बतलाए गोनों रोते हैं किसमत पर
विखर गए अर्मान बताए जिनको बड़े जतन से पाला
आज रहा है रंग दिखाए गोनों रोते रहे रात भर
माता पिता का हाल सुनाए सुभा सुभा का समय रहा ये
पिता एक चिठ्ठी लिखके जाए सुभा सुभा का समय रहा ये
पिता ये चिठ्ठी लिखके जाए हम दोनों घर से है जाते अब घर को ना वापस
आए हमें घूड़ना नहीं कहीं तो
अब तो हम तुम्हें मिलना पाए माता पिता चले गए घर से
कोई चिंता बेट को नाए माता पिता एक जूझे को
अपना दुख ना रहे सुनाए रस्ते में एक जगा बैठकर
अब ना कोई राह दिखाए दोनों ही ते दुखयारी
से तभी एक कार रुख जाए कार से एक लड़की
उतरी तबू
सारा हाल ये पूछती जाय तभी बताया पती पत्णी ने
सारा हाल कहे समझाय तभी बताया पती पत्णी ने
तभी बताया पती पत्णी ने सारा हाल रहे समझाय भर आई लड़की की आँखे
जो पर परवाद को गले लगाएं बोली लड़की मात पिता
से अपनी बात कहूं समझाएं माता पिता नहीं है मेरे
बच्पन से ही कहती जाएं अनात ती लड़की अपने
घर देखो धावा रही चलाएं राहगीर जो भी आते थे
माता पिता मिलगयहं मजको यह लड़कीने ताहं सुनाएं यही बात यही पर खोड़ो
जहां लड़का और उसकी पतनी अब तो समय बदलता जाएं
जहां लड़का और उसकी पतनी
जहां लड़का और उसकी पतनी अब तो समय बदलता जाएं
दोनों शराब के नसे में
पतनी असली रंग दिखाएं पती के घर से
जाते ही वह प्रेमी को वो मिलने बुलाएं
मालुम हुआ है जब लड़के को जम कर हुआ बबाल बताएं लड़की घर से चली गई तब
लड़का अकेल ही रह जाएं नसा उत्रा हैं दालत का
फोस गया बेटे को आई माता पिता को याद वह करके
देखो आज रहा पच्चताएं सूरत बदल गई
लड़के की
साथ में रहा न कोई नाएं भूल प्राश्चित अब करने को
बात रहें मैं गई समार भूल प्राश्चित करने को अब
भूल प्राश्चित का करने को बात रहें मैं गई समार चला गया बाबा के धाम पर
जहाँ शिव का मंदिर कहलाएं रो रो कर वह शिव शंकर
से बात एक ही कहता जाएं भूल चमा कर दीजे बाबा
गलती मेरी माफ हो जाएं कृपा करी भोले बाबा हने
हाल सभी को रहें सुनाएं लड़का माता पिता को धोने
प्रेम से रहते जाएं लड़की भी खुश रहती थी अब
कोई भी चिंता न सताएं मात पिता भी लड़की के संग
धावे पर मिल हात बटाएं मात पिता भी
लड़की के संग
धावे में मिल हात बटाएं दून दून माता पिता को
लड़का भी अब हार न खायें दूबला और कमजोर हो गयां
सेहद रही न साथ निभाएं लेकिन माता पिता के बिन भी
अब लड़के से रहा न जाएं एक दिन ढावे तक जा पहचाँ
सामने गाड़ी दई लगाएं बढ़ी देर से भूका था वह
उसे रही थी भूक सताएं बैठ गया टेवल में जाकर
माँ की नजर पड़ी बतलाएं जागी हैं मां की मम्दधगी
मां तो आफिर मां कहलाएं आँखों से छलके हैं आँसु
हाल का कुछ कहा नजाएं माने जब बेटे को देखा
उसके पिता
प्रेम से उसे कहा समझाएं बेटी को फिर माने बुलाया
पर तब लड़की ने रखी बताएं लड़का पहला निवाला लेकर
जैसे ही खाने को जाएं स्वादरामा के हाथों का बेटा
समझ गया बतलाएं लड़की से पूछा बेटे ने बड़े
प्रेम से कहा सुनाएं बनाया हैं किसने ये भोजन
बेहना हमको देओ बताएं वहाँ कमाजिरा लड़की कुछ भी
देखो रही समझ ना पाएं जैसे रसोई घर में पोँछी
लड़का पीछे पीछे आएं जैसे रसोई घर में पोँछी
लड़का पीछे पीछे आएं मता,
पिताँ को जब हैं देखो रो रो माफ्ि रहा
हाईं मांग कैर पकड़ लियें प्रेम के
प्रेम से जीवन चलता जाये दास विकास न लिखी कहानी
वर्षा यादों गाके सुनाये
दास विकास न लिखी कहानी