शायद मैं पलट आऊँ दर्वाजा खुला रखना
शायद मैं पलट आऊँ दर्वाजा खुला रखना
हाथों की लकीरों में सोडी सी जगा रखना
शायद मैं पलट आऊँ दर्वाजा खुला रखना
हर याद मुहब की तडपाएगी आखिर तो
ये जान अकेले में घबराएगी आखिर तो
आपस में ये दुश्वनी है मिट जाडेगी आखिर
तो आपस में ये दुश्वनी है मिट जाडेगी आखिर तो
तो चाहत के घरों को तुम यूँ ही सजा रखना
चाहत के घरों को तुम यूँ ही सजा रखना
हातों के लकीरों में थोड़ी सी जगा रखना
शायद में पलत आऊं दरवाजा खुला रखना
सब लोग ये पूछेंगे क्यूं तुम से खफा हूँ मैं
एक बार वफा करके क्यूं तुझ से जुदा हूँ मैं
बक्षाना जिसे तुमने क्या ऐसी खता हूँ मैं
उम्मीद के आंगन में एक शम्मा जला रखना
हाथों के लकीरों में
हाथों के लकीरों में थोड़ी सी जगा
रखना शायद मैं पलट आओ
दर्वाजा खुला रखना
शायद मैं पलट आओ
दर्वाजा खुला रखना
शायद मैं पलट आओ
दर्वाजा खुला रखना
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