आज मुही लागे बिन्दा बननी को
घर घर तुलसी ठाकुर सेवा दर्सन गोवित्त जी को
आज मुही लागे बिन्दा बननी को
निर्मल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को
निर्मल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को
निर्मल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को
रत्न सिंगासन आप विराजै
मुकुट धरो तुलसी को
आज मुही लागे बिन्दा बननी को
आज मुही लागे बिन्दा बननी को
कुञ्जन कुञ्जन फिरत राधिकाँ
कुञ्जन कुञ्जन फिरत राधिकाँ सब्द सुनत मुर्लीकों
मेरा के प्रभु किर्दर्नागर
मेरा के प्रभु किर्दर्नागर
भजन बिना नरपीकों
आज मुही लागे प्रिन्दावन्गनीकों
गरगर तुलसी ठाकुर सेवा
दर्सन गोविद्ध जीकों
आज मुही नरपीकों
आज मुही लागे रिन्दावन नीको
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