तो प्रयमी भक्षनों की सेवा में राधे और कृष्ण का एक होली का भजन
किस तरीके से कानहा राधे से होली खेलने की जिद कर रहे हैं और क्या कह रहे हैं बला
कि आज खेलूंगा आज खेलूंगा मेरा ज्वादी थे र तेरे संगे में फिर तेरे संगे में पैंके
खटुबोली है काना मेरे एलुप में क्योंकि थंड पड़ी है काना मेरे अंगों को पहुंचानू का मेरे � 어려 to
मुझे इस बार से कोई मतलब नहीं है रादे
मैं तो आज तेरे साथ भूली थेल ले आया हूँ तो फेल कहीं रहूँगा
मत ना रादे जूट बोले लाल हर कर दूँगा विचकारी से आज तेरी चोली में रंग भर दूँगा
रादे धीरे से डल वाले क्या है रखा जंग में
गैठी ख़ण पढ़ी है काना मेरे अंग में
गैठी ख़ण पढ़ी है काना मेरे अंग में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
नेरे अंद में
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