आज गगन में खिर खिर खनने बिजली के मुरली बजाई
आज गगन में खिर खिर खनने बिजली के मुरली बजाई
हवा के रथ पर चढ़िरी तुरानी यही संदेशा लाई
यही संदेशा लाई
माहिरी भर्षा अपमाहिरी भर्षा रथ बर्शा भी
आई आई अपमाहिरी भर्षा रथ बर्शा भी
जग सर साभी बनभर शाभी
आई आई अपमाहिरी भर्षा
संग यंग जो बनयू मंग भर दोड चली तब नदिया
मुझा की वार कोलके निकले कोमन कोमन कलिया
पेड़ पेड़ ने जाल जाल पर पुलपं जली खळाई
पेड़ पेड़ ने जाल जाल पर फुल्पं जली खळाई
। मैड मैड दाल दाल। बर्मु पण्ज लिख जाए।
। आई भर्षा ।
। रत भर्षा भी। जगतर राभि। गुण्हर शादी।
। आई । आई भर्षा ।
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