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Aahoi Varat Katha

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Đang Cập Nhật

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Lời bài hát: Aahoi Varat Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

अहूई माता के चरणों में शेष जुकाते हैं
अहूई आस्तमे की आज हम कथा सुनाते हैं
मिल कर पेना कल्याँ बच्चों का रखना ध्याँ
बच्चों की सलामत चाहें करते वर्त माताएं
मईयाजी की पूजा अरचना हरती सारी बनाएं
बहनों अहूई का दिन होता बड़ा ही
खास
कृष्ण पक्ष की अस्तमे है ओर करतीक मास
निर्जिला वर्त रखती ओर ग्रहन करेना हं
शाम को अरध्याँ दे करकर की तारों का पूजन
संतान पे आये जो संकत वो टल जाते हैं
अहूई अस्तमे की आज हम कथा सुनाते हैं
मैया करते गा कल्याण
बच्चों का रखना घ्याण
श्रधा और
विश्वास से अब हम कथा सुनाएं
कथा से पहले मैया जी का जैकारा लगाएं
किसी नगर में रहता था एक साहुकार
बड़ा हे भरा
पूरा था उसका तो परिवार
साथ बेटे
साथ बहुए और एक बेटी थी
जब उसके घर में कोई कमी ना थी सुख में जीवन बिता रहे वो मोज मनाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मैया कर पेगा कल्याण बच्चों का रखना घ्याँ
दिवाली से पहले कार्टिक की अस्तमी है आए
साथ बहुए ननन्द की संग में जंगल में है जाए
काली खोड़ेंते रही हैं
हुई अस्तमी की आज हम कदा सुनाते हैं
मय कर पेदा कल्याण
पच्चो का रखना ध्याँ
पर परखना ध्याँ
परखना ध्याँ
मार दिये तेरी कोख मैं बांधूँगी
ननद कहे अन्जाने में हो गया मापाप
हाथ जोड़के मापी माँगू कर दो मुझको माप
अन्जाने में होई गल्टी दंड सेहना पाते हैं
आहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय कर पेदा कल्याण पच्चो का रखना ध्याँ
मय कर पेदा कल्याण
पच्चो का रखना ध्याँ
इकलोती बहुँ हूँ मैं तो वंश न चल पाएगा
ये दुख मादा मुझसे न सहे न हो पाएगा
इतनी बड़ी गल्टी है अभास न था
तुम्हारे बदले कोख बंधाईं मेरी भावियां
छए
भावियोंने तुरंट ही कर दिया इनकार
सासुजी के डर से चोटे ने किया स्विकार
तुम्हारे बदले ओ ननदी हम कोख बंधाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
भयतरपेगा पल्यां बच्चों का रखना ध्यां
भयतरपेगा पल्यां
बच्चों का रखना ध्यां
भयतरपेगा पल्यां
बच्चों का रखना ध्यां
दबागन किनाथी कर सेल neck scratch
मयः
करपेना पल्यार बच्चों का रखना ध्याँ
बच्चों का रखना ध्याँ
फसुर ही गया की सेवा करो जो शाहु माता की बेहना
शाहु उसे बड़ा मान है देती टाले ना कुई कहना
सीवा से मिलती है मेवा कोख तिरी खुल जाई
बच्चों से घर आंगन तो पे तेरा महकाई
सोच सोच के बेटी तुम रहो ना बपरिशान
सुर ही गयां के पास है सारा ही समधान
पंडित जी उसे समझा कर धीर बनधाते
हैं अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय तरपेना
तल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
वहो सेवा करने लगी तब से गौ माता की
तन मन से वो नियम पुगाई
मन में आशात की
सुभा सवीरे उठ कर ही वो कर आती सफाई
सेवा कोन करे आकर सुर ही समझ न पाई
देखू करे है कोन सेवा उसके मन में आई
देख कि सेवा सुर ही गयां तो बड़ी मुस्ताई
गौ माता से मिले अशीष भाग जगाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय पर पेना पल्यार बच्चों का रखना ध्यार
उसी समय पे अगले दिन छोटी बहुँ है अली बड़े ही श्रधा भाव से
वो कर रही सपाई
लगी पूछने गौ माता तो उसके मन की बार
साहुकार की बहुँ कहें जोड की दोनों हाथ
हे गौ माता शाहुमा जो बहना है तुम्हारे
क्रोध में आकर उसने है कोक बादी हमारी
कोक हमारी छुड़वा तो हम यही चाहते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मुझे करते ना कल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
गौ माता तो लेकर जड़ने जाने जाने
चल दी बहु को सागर पार पेड़ के नीचे बैठ गई रस्ते में वो ठक हार
गौ माता और चोटी बहु तो बैठी
आँखे मीचे
वो था अगे बढ़े गया बहुने मार। ت्राणे उसके चल जाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय तरपेना कल्याण
पच्चों का रखना ध्याँ
कुछ ही देर में गरुडः पंखनी वहाँ पे आ गई
खून पड़ा देखा जो उसने वो बुखला गई
साहुकार की बहुँ को वो तो मार रही थी चोच
बहु कहें मुझे मत मारो लगी रही है चोच
शू करााम अल ब nies जी कहीं मै กलोस मैंने spice गलाधी With me
मय करपेना कल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
गरुड पंखनी चोटी बहुं पोजता रही अभाल
पीठ पे बैठो दोनों को करवा दो
सागर पाल
शाहू माता के पास फिर दोनों पहुच गई
देख के सुर ही गाएं को शाहू खुश हुई
एक दूज़े के गले मिली वो सुख दुख की बतियाएं
जू पड़ी है सर में मेरे शाहू ने बताएं
छोटी बहुन जूए निकाने वो बतलाती
हैं अहुई अस्तमी की आज हम कधा सुनाते हैं
मज़्या करते गां कल्याण बच्चों का रखना ध्याँ
सिर में डाली तूने सलाई खुश हुआ मिरा मन
साथ बेटे और बहुन का देती हूँ वचन ऐसा सुनकर बहु के तो आसू निकल है आये
एक भी नहीं है मेरे तो साथ कहां से आये
कोख मेरी बंदी हुई है माता आप के पास
सेवा मैंने करी आपकी माश्रधा के साथ
सुना है सेवा के फल तो सबको मिल जाते हैं
हुआ
मिरा मन साथ बेटे-
--------
कै ।
कंगरी हो जाओंगी मैं
यदी अपने
दिये वचन से फिर जाओंगी मैं
कोख खोल दी माता ने तो ऐसा कहकर
सात आहोई उजमी बहूने घर में आकर
जेथानिया उसके घर में दोड़ी दोड़ी आई
पूछे उससे कैसे तुमने अपने कोख छुड़ाई
पोली शाहुं के किरपां से वो शुफल पाते हैं
आहुई अश्टमी की आज हम कधा सुनाते हैं
मल्य कर पेना
पल्यार बच्चों का रखना ध्यार
शाहु माता विन्ती तुमसे करते बारंबार
जैसे किरपा बहुफे करदी करना तुम उपकार
कथा कहने सुनने वालों का हो सुकी परिवार
घर आंगन महकाई रखना बना रही संसार
बच्चों पे सदः हाथ रखना इनसे है उजियारा
मंगल कामना लेकर मन में वर्त करे तुम्हारा
तेरे किरपा से बच्चों पे कस्टनाते हैं
अहुई अस्टमी की आज हम कथा सुनाते हैं
बया करपे ना कर याँ बच्चों का रखना ध्याँ

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