अहूई माता के चरणों में शेष जुकाते हैं
अहूई आस्तमे की आज हम कथा सुनाते हैं
मिल कर पेना कल्याँ बच्चों का रखना ध्याँ
बच्चों की सलामत चाहें करते वर्त माताएं
मईयाजी की पूजा अरचना हरती सारी बनाएं
बहनों अहूई का दिन होता बड़ा ही
खास
कृष्ण पक्ष की अस्तमे है ओर करतीक मास
निर्जिला वर्त रखती ओर ग्रहन करेना हं
शाम को अरध्याँ दे करकर की तारों का पूजन
संतान पे आये जो संकत वो टल जाते हैं
अहूई अस्तमे की आज हम कथा सुनाते हैं
मैया करते गा कल्याण
बच्चों का रखना घ्याण
श्रधा और
विश्वास से अब हम कथा सुनाएं
कथा से पहले मैया जी का जैकारा लगाएं
किसी नगर में रहता था एक साहुकार
बड़ा हे भरा
पूरा था उसका तो परिवार
साथ बेटे
साथ बहुए और एक बेटी थी
जब उसके घर में कोई कमी ना थी सुख में जीवन बिता रहे वो मोज मनाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मैया कर पेगा कल्याण बच्चों का रखना घ्याँ
दिवाली से पहले कार्टिक की अस्तमी है आए
साथ बहुए ननन्द की संग में जंगल में है जाए
काली खोड़ेंते रही हैं
हुई अस्तमी की आज हम कदा सुनाते हैं
मय कर पेदा कल्याण
पच्चो का रखना ध्याँ
पर परखना ध्याँ
परखना ध्याँ
मार दिये तेरी कोख मैं बांधूँगी
ननद कहे अन्जाने में हो गया मापाप
हाथ जोड़के मापी माँगू कर दो मुझको माप
अन्जाने में होई गल्टी दंड सेहना पाते हैं
आहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय कर पेदा कल्याण पच्चो का रखना ध्याँ
मय कर पेदा कल्याण
पच्चो का रखना ध्याँ
इकलोती बहुँ हूँ मैं तो वंश न चल पाएगा
ये दुख मादा मुझसे न सहे न हो पाएगा
इतनी बड़ी गल्टी है अभास न था
तुम्हारे बदले कोख बंधाईं मेरी भावियां
छए
भावियोंने तुरंट ही कर दिया इनकार
सासुजी के डर से चोटे ने किया स्विकार
तुम्हारे बदले ओ ननदी हम कोख बंधाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
भयतरपेगा पल्यां बच्चों का रखना ध्यां
भयतरपेगा पल्यां
बच्चों का रखना ध्यां
भयतरपेगा पल्यां
बच्चों का रखना ध्यां
दबागन किनाथी कर सेल neck scratch
मयः
करपेना पल्यार बच्चों का रखना ध्याँ
बच्चों का रखना ध्याँ
फसुर ही गया की सेवा करो जो शाहु माता की बेहना
शाहु उसे बड़ा मान है देती टाले ना कुई कहना
सीवा से मिलती है मेवा कोख तिरी खुल जाई
बच्चों से घर आंगन तो पे तेरा महकाई
सोच सोच के बेटी तुम रहो ना बपरिशान
सुर ही गयां के पास है सारा ही समधान
पंडित जी उसे समझा कर धीर बनधाते
हैं अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय तरपेना
तल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
वहो सेवा करने लगी तब से गौ माता की
तन मन से वो नियम पुगाई
मन में आशात की
सुभा सवीरे उठ कर ही वो कर आती सफाई
सेवा कोन करे आकर सुर ही समझ न पाई
देखू करे है कोन सेवा उसके मन में आई
देख कि सेवा सुर ही गयां तो बड़ी मुस्ताई
गौ माता से मिले अशीष भाग जगाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय पर पेना पल्यार बच्चों का रखना ध्यार
उसी समय पे अगले दिन छोटी बहुँ है अली बड़े ही श्रधा भाव से
वो कर रही सपाई
लगी पूछने गौ माता तो उसके मन की बार
साहुकार की बहुँ कहें जोड की दोनों हाथ
हे गौ माता शाहुमा जो बहना है तुम्हारे
क्रोध में आकर उसने है कोक बादी हमारी
कोक हमारी छुड़वा तो हम यही चाहते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मुझे करते ना कल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
गौ माता तो लेकर जड़ने जाने जाने
चल दी बहु को सागर पार पेड़ के नीचे बैठ गई रस्ते में वो ठक हार
गौ माता और चोटी बहु तो बैठी
आँखे मीचे
वो था अगे बढ़े गया बहुने मार। ت्राणे उसके चल जाते हैं
अहुई अस्तमी की आज हम कथा सुनाते हैं
मय तरपेना कल्याण
पच्चों का रखना ध्याँ
कुछ ही देर में गरुडः पंखनी वहाँ पे आ गई
खून पड़ा देखा जो उसने वो बुखला गई
साहुकार की बहुँ को वो तो मार रही थी चोच
बहु कहें मुझे मत मारो लगी रही है चोच
शू करााम अल ब nies जी कहीं मै กलोस मैंने spice गलाधी With me
मय करपेना कल्याण
बच्चों का रखना ध्याँ
गरुड पंखनी चोटी बहुं पोजता रही अभाल
पीठ पे बैठो दोनों को करवा दो
सागर पाल
शाहू माता के पास फिर दोनों पहुच गई
देख के सुर ही गाएं को शाहू खुश हुई
एक दूज़े के गले मिली वो सुख दुख की बतियाएं
जू पड़ी है सर में मेरे शाहू ने बताएं
छोटी बहुन जूए निकाने वो बतलाती
हैं अहुई अस्तमी की आज हम कधा सुनाते हैं
मज़्या करते गां कल्याण बच्चों का रखना ध्याँ
सिर में डाली तूने सलाई खुश हुआ मिरा मन
साथ बेटे और बहुन का देती हूँ वचन ऐसा सुनकर बहु के तो आसू निकल है आये
एक भी नहीं है मेरे तो साथ कहां से आये
कोख मेरी बंदी हुई है माता आप के पास
सेवा मैंने करी आपकी माश्रधा के साथ
सुना है सेवा के फल तो सबको मिल जाते हैं
हुआ
मिरा मन साथ बेटे-
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कै ।
कंगरी हो जाओंगी मैं
यदी अपने
दिये वचन से फिर जाओंगी मैं
कोख खोल दी माता ने तो ऐसा कहकर
सात आहोई उजमी बहूने घर में आकर
जेथानिया उसके घर में दोड़ी दोड़ी आई
पूछे उससे कैसे तुमने अपने कोख छुड़ाई
पोली शाहुं के किरपां से वो शुफल पाते हैं
आहुई अश्टमी की आज हम कधा सुनाते हैं
मल्य कर पेना
पल्यार बच्चों का रखना ध्यार
शाहु माता विन्ती तुमसे करते बारंबार
जैसे किरपा बहुफे करदी करना तुम उपकार
कथा कहने सुनने वालों का हो सुकी परिवार
घर आंगन महकाई रखना बना रही संसार
बच्चों पे सदः हाथ रखना इनसे है उजियारा
मंगल कामना लेकर मन में वर्त करे तुम्हारा
तेरे किरपा से बच्चों पे कस्टनाते हैं
अहुई अस्टमी की आज हम कथा सुनाते हैं
बया करपे ना कर याँ बच्चों का रखना ध्याँ