दूर जितना भी तुम मुझे से पास तेरे मैं
अब तो आदच सी है मुझे को ऐसे जीने में
जिन्देगी से कोई शिक्वा भी नहीं है
अब तो जुन्दा हूँ मैं इस नीडे असमां में
अब तो जुन्दा हूँ मैं इस नीडे असमां में
चल में इस नीड़ आई चल में
चल में इस नीड़ आई चल में
चाहत ऐसी है ये तेरी बढ़ती जाए
चाहत ऐसी है ये तेरी मुझे को सताए
यादे गहरी है ये तेरी दिल दूब जाए
और आखों में ये हम न बन जाए
अब तो आदेच सी है मुझे को ऐसे जीने में
सभी राते हैं सभी बाते हैं
बुला दो उन्हें मिटा दो उन्हें
आखों में भेदाद मिटा दो उन्हें