दोबारा मिले गए कई हाँ मेरा हो जाना दोबारा
मन भर जाए जब राणों से दिल तुम लोटाना दोबारा
लिख दू मैं बाते पुरानी जहन में यादी तुमारी
साथ तु रहती है जिसके क्या खीमत तेरी उसे पता जरा भी
आखों में रहती है नमी अलफाजों में तेरी नकमी
पिसलती रेद कितना समेटू मैं उतनी ही बढ़ रही दूरी
तू को जला कर मिटाता अंधेरे और कर देता रोशन को तेरी सुभा
कस्में वो संग तेरी खाई थी मैंने जो अभी रहा मैं वो सारी निभा
सीकर ना तेरा वो पलना मैं चाहू के बैतर उसे के बुला ले खुदा
शायर बन बेटा मैं तेरी ही यादों में आकर पढ़ ले तू ये पन्ने गवा
चल दिया में राहों पर उदासी हर तरफ भी छी वो पूछे मुझसे उससे जादा क्यूं हूँ आज मैं दुखी
कलम ये सुनके बाते फिर से आज है रोपडी जो जीने की वज़ाती वो ही बन चुकी है खुदकुशी
आँखे बंद रखू मैं जैनियत पर ताले खो दिया है खुद को उनके बनने के हवाले अराम ना है पल का हर लम है मैं
जिकर तेरा निकलता हूं मैं रोज अब अराम ही कमाने तैनोषों से दूर अब नौषों में धुद में तेरी बरसातों में भीगा हो
खुद मैं भी ढूंढू मैं तेरा ही छहरा हालात है
मेरे बुलवाते जो झूट था मेरा कसूर
जो खोया वजूत मौत थी मेरी अब देगी सभूत
खोया इतना तुझे पाने के घातिर
अब आकर भी खुशी ना होती महसूस
चहरे पर मेरे है तुझसे ही नूर
तु साथ ना मेरे तू टूटा गुरूर
अफसानों में मेरे तु बनके फितूर
है लवजों का खेल तो मेरा सुरूर
अब गयरों के साथ तु काफी मशूर
जब देखो तुझे तो मैं हो जाता छूर
तु शामों में शामिलती अब क्यों है दूर
तुम खट या ताना दोबाला
आँ आँ दोबाला