पंद्रा अगस्त को आजादी का पर्व बताते हैं
पावन पर्व बताते हैं
कैसे हमें मिली आजादी तुम्हें बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं पंद्रा अगस्त की अमर कथा हम तुम्हें सुनाते हैं
वीर जवानों की कुरबाणी याद दिलाते हैं हम कथा सुनाते हैं
मेरे देश के वीर जवान कर गए निए उच्छावर प्राण
मेरे देश प्रेमीयों
हमारा देश पंद्रा अगस्त 1947 को आजाद हुआ था
भारत के इतिहास में पंद्रा अगस्त एक महत्तपून दिन है
इस दिन देश बृतिश शाषन की गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ था
पंद्रा अगस्त को राश्टिय त्यूहार माना जाता है पंद्रा अगस्त
हमारे देश वासियों के देश प्रेम एक्ता और समर्पन का प्रतीख है
इस दिन भारत के उन सभी सेनानीयों को शर्धान्जली दी जाती है
जिनों ने देश की आजाधी के लिए अपने प्राणों की आहुती दी थी
आज का दिन इनकी वीर्ता,
शोर्य और बहादूरी को नमन करने का दिन हैं
तो आईए देश के अमर वीर जवानों को नमन करते वे उनका गुणगान करते हैं
यूही नहीं मिली आजाती हमको गोरों से
बहुत सी मैया जुदा हो गई अपने छोरों से
हस के अपनी जान गवाई भाई बहनों ने
सीने पर भी गोली खाई भाई बहनों ने
बहुत सी नारी विदवा हो गई इस आजादी में वीरों की
आबाजे खो गई इस आजादी में
हाँ हम तुम्हें बताते हैं 15 अगस्त की अमर कथा हम तुम्हें
हम गाथा गाते हैं
मिर्देश के बीर ज़वान
कर गए निए उच्छावर प्रान
मिर्देश के बीर ज़वान
मंगल पांड़े की
कुर्बानी याद दिलाऊं मैं
पिता शरी थे सूरज पांड़े तुम्हे बताऊं मैं
अथारा सो उन्चास में सेना में आये
अंग्रेजी
कानून इने न एक आख भाई
कार्टूसो को लेकर एक दिन विद्रो कर डाला
अपने और साथियों को भी जोश में भर डाला
अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला पांड़े ने हमला एक सिपाई
उपर बोला पांड़े ने
अंग्रेजों की आख में पांड़े खटकते जाते हैं
पांड़े खटकते जाते हैं पंदर आगस्त की अमर कथा हम तुमें सुनाते हैं
हम गाथा गाते हैं
निर्देश के बीर जवान
कर दैने उच्छावर प्राण
पांड़े
ने अंग्रेजों की आख में पांड़े खटकते जाते हैं
एक अंग्रेजी जज्ज ने फासी हुकम सुनाया था
आठ अप्रेल सनस्टावन में फासी हो गई यारो
और तेज फिर आजादी की आंधी हो गई यारो
हस्ते हस्ते फासी पे वो जान गवाते हैं
अपनी जान गवाते हैं
पंदर आगस्त की अमर कथा हम तुम्हें सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
मिर्देश के बीर जवान
कर गए नियो चावर प्रान
प्यारे देश प्रेमीयों
मंगल पांडे
सतंतन्तरता संग्राम के प्रारंब करता थे
इन्होंने
बृतिश सेना में सिपाही के पद पर रहे कर
अंग्रेजों की नितियों का विरोध किया था
प्रश्वात खुबता के फिर भवाज़ पर प्रश्वात की घत्या भी की थी
जिसके फल सरूप अंग्रेजों ने देश द्रो का आरोप लगा कर इनको फासी दे दी थी
ऐसे ही सुग्दे ठापर राजगुरू जो भगश सिंग्गी
साती थे आजाधी के लिए देश पर कुर्बान हो गए।
लंदर में मदनलाल भिंगरा और बंगाल के खुदी राम बॉस और
बटकेशवर दत हस्ते हस्ते अपने प्रानों की आहोती दे गए।
और राम परसाद बिसमिल अश्वाक उल्लाखाँ
शिवराम राजगुरू लख्ष्मी बाई ने भी देश की आजाधी में
अपना विशेश सयोग दिया। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वीर भगत सिंग की कुर्बानी तुमको याद दिलाऊं
जनमे थे पंजाब प्रांत में दिन तारीक बताऊं
सन उन्नी सो साथ को जनमे वीर भगत सिंग जी
किशन सिंग के पुत्र कहाए वीर भगत सिंग जी
अंगिरेजों के विरुत इनोंने लड़ी लड़ाई
थी वीर बाकुरे योधाओं की टीम बनाई थी
भगत सिंग जब क्रांती कारी बन कर आये थे
अंगिरेजों के सारे सिपाई मन घबराए थे
हम भी इनकी बहादुरी को शीश जुकाते हैं हाँ हम शीश जुकाते हैं
हम गाता गाते हैं
अंग्रेजों के
खिलाफ एक दिन मुर्चा खोल दिया
लाहोर की असेम्बली पर धावा भी बोल दिया
वहाँ पे बैठे सभी लोग भैधीत हो जाते हैं
भावने दोशी भगत सिंग जी पाये जाते हैं
फासी की उने सजा सुनाई बिरिटीश खुकूमत ने
23 मार्च को फासी लगाई बिरिटीश खुकूमत ने
स्वतंत का संग्रामें इनका दर्जा उचा है
इनके जैसा वीर बाकुरा हुआ न दूजा है
आज भी इनके किस्से घर घर गाए जाते हैं घर घर गाए जाते हैं
पंधर आगस्त की अमर कथा हम तुमें सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
विर्देश के वीर जवान
कर गए नियोच्छावर प्रान
विर्देश के वीर जवान
के वीर जवान कर गए निम्योच्छावर प्रान वीर जवान
देश की आजादी को जब हुंकार भरी थी इसने
एक अंगरेजी अदिकारी की हत्या करी थी इसने
आत्मसमर्पड नहीं किया था शेकर ने अपना
खुद ही जीवन खत्म किया था शेकर ने अपना
खुद ही गोली मार के अपने प्रान गवाते हैं अपने प्रान गवाते हैं
पंधर आगस्त की अमर कथा हम तुम्हें सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
मिर्देश के बीर जवान
कर गये ने उच्छावर प्रान
देश प्रेमीयों
चंदरशेकर आजाद एक क्रांठी कारी थे
चंदरशेकर आजाद सन
1928 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिशन में शामिल हुए
और जल्दी ही निता बन गये
इन्होंने लाहोर की असेंबली में हमला किया था 27
फर्वरी सन 1931 बृतिस पुलिस ने उन्हें घेल लिया
तब इन्होंने आत्मसमर्पन की बजाये भूदी गोली मारकर अपने
प्रानों की आहूती दे दी थी ऐसा नहीं के सतंतता संग्राम सर�
जानते हैं
होगी सब को याद अभी तक जहांसी की राणी
तुम्हें
सुनाऊं कैसे उसने दी थी कुर्बानी
अंग्रेजों ने जब जहांसी पर हमला बोला था
तब राणी ने युद्ध का उनसे मौर्चा खोला था
अंग्रेजों के संग में उसने लड़ी थी कई लड़ाई
अंग्रेजी सैना को इसने रण में धूल चटाई
अंत समय में इस राणी ने हार नहीं मानी
लड़ते लड़ते देश के उपर दे गई कुर्बानी
वीरंगना के नाम से उसको आज बुलाते हैं उसको आज बुलाते हैं
पंधर अगस्त की अमर कथा हम तुम्हें सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
मिर्देश के बीर जवान कर गए निए उच्छावर प्रान
स्वातंत्रता संग्राम की आंधी चल गई शहर शहर
नए नए क्रांटी कारी घर घर आने लगे नजर
भारत के हर प्रांत में होने लगे उपद्रभारी
देख के थर थर लगी कापने बिर्टिश सेना सारी
अंग्रेजो भारत छोडों का नारा रंग ले आया
देख बगावत अंग्रेजो का अधिकारी गबराया
भारत को आजाद करेंगे एक दिन हुक्म सुनाया
फिर जल्दी से अंग्रेजो ने बिलपारित करवाया
पंदर अगस्त को आजादी का भारत करेंगे
पंदरा अगस्त सन सेन तालिस को मिली थी आजादी
खुशियों का गुलदस्ता बन कर फिली थी आजादी
पहले परधान मंत्री चाचा नहरू कहलाए
भज तिरंगा पहराने को लाल किले आए
देश की जनता के लिए बाशन दिया नहरू ने
जनता का विनंदन दिल से किया ता नहरू ने
लाल किले पर बाशन सुनने जनता आई थी
छोटे बड़े सभी के दिल में मस्ती छाई थी
मिलके भारत माता की जैकार लगाते हैं
जै, जैकार लगाते हैं
पंदरा अगस्त की अमर कथा हम तुमें सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
निर्देश के वीर जवान
कर गए निए उच्छावर प्रान
निर्देश के वीर जवान
पंदरा अगस्त के दिन ने किया था
पावल भारत को
मिली थी गोरों से आजाधी इस दिन भारत को
वीर जवानों का अबिनंदन करते आज के दिन
कोटी कोटी चर्णों में वंदन करते आज के दिन
अच्छे ढंग से लाल किले को सजाया जाता है
बड़ी शान से जन्दे को फहराया जाता है
लाल किले पर पभे
आयोजन आज भी होता है
सेना की शक्ती का प्रदर्शन आज भी होता है
कहे अनारी रण कोशल सब वीर दिखाते है
सब वीर दिखाते है
सब वीर दिखाते है